Uttar Pradesh, Agra: जमुई से आकर 10 दिनों तक पुत्र की तलाश में भटकते हुए रविवार को रामचंद्र और कुसुमा देवी की आंखें खुशी से चमक उठीं। जब सात साल के शिव ने अपने माता-पिता को अपने सामने देखा तो दौड़कर उन्हें गले लगा लिया। वह रोने लगा, कुसुमा माता ने उसे शांत किया। बेटे को लेकर मन में उठी सारी आशंकाएं खत्म हो गई थीं। होली पर खुशियों के रंगों से रंगी बेरंग उम्मीदें।
कागरोल में मिला था बेटा
UP News के माध्यम से आपको बता दें कि, 20 फरवरी को सात वर्षीय शिवा कागरोल क्षेत्र में भटकता मिला था। उसे रोता देख ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने बच्चे को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया। उन्होंने लड़के को सरकारी बाल गृह में बसा दिया। काउंसलिंग में शिवा ने अपने गांव का नाम चरक पत्थर और बिहार बताया था। मुझे जिले का नाम नहीं पता था।
झारखंड संस्था से किया संपर्क
समाजसेवी नरेश पारस ने कहा कि उन्होंने लड़के से बात की है। जिसके बाद झारखंड संगठन ने कालेश्वर मंडल से संपर्क किया। उनकी मदद से लड़के और उसके रिश्तेदारों का पता ट्रेस किया गया। रामचंद्र ने कहा कि वह मजदूरी करता है। कुसुमा देवी की पत्नी बीड़ी बनाने का काम करती हैं। गांव में रहने वाले रिश्तेदार अछनेरा में पेस्ट्री शेफ का काम करते हैं। पिछले महीने बेटे ने जिद की और उसके साथ घूमने आ गया। यह शहर छोड़ने के बाद खो गया था।
माता-पिता बेटे की तलाश कर रहे थे
परिचित ने अछनेरा थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। सूचना मिलने पर वह आगरा आ गया। मैं यहां बेटे की तलाश में थी। शिव का अगवानी करते हुए माता-पिता ने कहा कि यह होली यादगार रहेगी। बच्चे को उसके माता-पिता को सौंप दिया गया। इस दौरान बाल कल्याण समिति सदस्य निमेश बेताल सिंह, अर्चना उपाध्याय, बाल गृह अधीक्षक ऋषि कुमार मौजूद रहे।