Bijnor Hindi News: गुलदार का कहर जिले में अभी भी काम नहीं हुआ है। गुलदार को लेकर लोगों के मन में असहनीय दर्द है। 3 महीनों में गुलदार ने 15 बार हमले किए जिनमे 8 लोगों की जान भी चली गई है। दुख की बात तो यह है कि ये हमले अब भी कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। जुलदार की इस समस्या से लोग खुद को बेबस महसूस कर रहे हैं।
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तीन महीनों में 15 से ज्यादा हमले। Bijnor Hindi News
गुलदार की बात करें तो अभी जिले में स्थिति भयावह है। महज तीन महीनों में जिले में 15 से अधिक गुलदार हमले हो चुके हैं। इनमें करीब आठ लोगों की जान चली गई है। तीन माह में दस गुलदारों को वन विभाग ने अपने कब्जे में भी लिया, लेकिन हमले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। ज्यादातर घटनाएं नगीना व अफजलगढ़, रेहर क्षेत्र में ही हो रही हैं।
Bijnor Hindi News: जिले में गुलदार की समस्या को लेकर वन विभाग बेबस नजर आ रहा है। इस दौरान मिनियन लगातार पिंजरे में फंसे रहते हैं, लेकिन हमले भी जारी रहते हैं। पहले तो वन विभाग ने पकड़े गए गुलदार को हमला करने वाला माना, लेकिन अब हमले नहीं रुके तो वन अधिकारियों के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं।, नगीना और रेहर में 40 सदस्यों की 11 टीम बनाई गई है, जिसमें कानपुर और पीलीभीत के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। सभी मिलकर गुर्गे की तलाश कर रहे हैं।
वन विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद क्षेत्र में गुलदार के हमले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। सैदपुरी गांव में गुर्गे के हमले में युवक की मौत के बाद नगीना क्षेत्र में यह तीसरा मामला बन गया है। इससे पहले भी गुलदार ने इसी साल 17 फरवरी को कीरतपुर गांव में अदिति (14) और 18 मार्च को काजीवाला गांव निवासी मिथलेश (45) की हत्या की थी। क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवों में छोटे बच्चों और बुजुर्गों पर हमला कर घायल कर दिया गया है। नगीना क्षेत्र से तीन गुलदारों को पकड़ने के बाद वन विभाग की टीम अब तक अमनगढ़ रेंज से रवाना हो चुकी है।
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शावक को पकड़ लिया गया, लेकिन नहीं मिला गुलदार
Bijnor Hindi News: इसी महीने 16 अप्रैल को पास के कस्बे पखनपुर में तीन माह का गुलदार शावक कुएं में गिर गया था। जिसे वन विभाग की टीम ने कुएं से निकालकर जंगल में छोड़ दिया। ग्रामीणों का दावा है कि गांव में शावक मिलने के बाद अगर गुलदार को फंसाने के लिए पिंजरा लगाया गया होता तो सैदपुरी में बच्चे की मौत नहीं होती।
जिले के अमनगढ़ रेंज के वन 9500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैले हुए हैं। एक दशक पहले तक यहां 12-14 बाघ हुआ करते थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 27 से अधिक होने की उम्मीद है। ऐसे में बाघों की संख्या बढ़ी और गुलदार आबादी के बीच जंगलों में रहने लगे। जिले में इनकी संख्या 150 से अधिक होने का अनुमान है।
जंगल के नजदीकी गांवों में ज्यादा खतरा
अमनगढ़ और नगीना के जंगल से सटे गांवों को इसके लिए संवेदनशील घोषित किया गया है। दोनों रेंज में 42 गांव जंगल के किनारे के करीब हैं, लेकिन 22 गांवों को वन विभाग ने संवेदनशील माना है। इन गांवों में बाघ और गुलदार की मौजूदगी का खतरा पहले से ही सता रहा था। इसलिए यहां ग्रामीणों को भी सूचना दी गई। मौजूदा हालात पर नजर डालें तो गुलदार के सामने सारी तालीम और जागरूकता कम पड़ गई है।
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बाघ व गुलदार को लेकर संवेदनशील सूची में शामिल ये गांव

अमानगढ़ से सटे गाँव: देवानंदपुर गढ़ी, रेहर, नवाबाद जंगल, केहरीपुर जंगल, कीरतपुर, रानींगल, फतेहपुर धारा, कल्लूवाला, लालबाग, मलौनी, मीरापुर उत्तर।
नगीना रेंज से सटे शहर: भिक्कावाला, बनियावाला, इस्लामनगर, मुरलीवाला, जामुनवाला, लड्डूवाला, खैरीखट्टा, जमानपुर, रसूलपुर, रसूलाबाद, प्रेमपुरी।
उसने तीन महीने में दस गुलदार पकड़े, लेकिन हमले बढ़ते जा रहे हैं………
- 23 जनवरी से अब तक 10 गुलदार पकड़े जा चुके हैं
- 11 टीमें अति संवेदनशील 11 गांवों की निगरानी करेंगी
- गुलदार पर नजर रखने के लिए 10 कैमरे ट्रैप लगाए गए
- 06 नगीना व रेहर क्षेत्र में वन विभाग द्वारा पिंजरा लगाया गया था।
- वन विभाग ने 22 गांवों को संवेदनशील घोषित किया
- 40 सदस्यों की टीम खेतों में गुलदार की तलाश कर रही है।
- 01 ड्रोन कैमरे से गुलदार की लोकेशन खंगाल रही है
- कानपुर व पीलीभीत से 08 विशेषज्ञों की टीम नामित
- गुलदार ने तीन महीने में नगीना-अफजलगढ़ इलाके में 15 हमले किए
- इस साल अब तक गुलदार हमले में 08 मौतें हो चुकी हैं
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