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UP News Today: बीजेपी और बीएसपी को एक साथ टक्कर देगी सपा, बदल देगी सारा खेल, गवाही दे रही हैं तस्वीरें

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UP News Today:  समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और बीएसपी का साथ मिलकर तख्तापलट करने की तैयारी शुरू कर दी है। तस्वीरों के जरिए आपका संदेश मिल रहा है।

लोक सभा Elections 2024:  उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद पार्टी ने बीजेपी के खिलाफ बनाई गई योजना पर काम भी शुरू कर दिया है। सपा यूपी में दलित वोट बैंक के सहारे चुनावी मैदान में साइकिल चलाने की तैयारी में है। इस वोट बैंक को पाने के लिए पार्टी के पुराने चेहरे अवधेश प्रसाद और रामजी सुमन लाल चेहरे बने। 

सपा की रणनीति के मुताबिक अगर दलित वोट बैंक उनके साथ जुड़ जाता है तो 2024 की सियासी राह आसान हो सकती है।  2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सपा ने अंबेडकरवादियों और लोहजाइयों को एक मंच पर लाना शुरू किया था। पार्टी ने डॉ अंबेडकर के सिद्धांतों और सपनों को पूरा करने की वकालत करते हुए अंबेडकर वाहिनी की घोषणा की। विधानसभा चुनाव में पार्टी का वोट बैंक 32 फीसदी के करीब पहुंच गया था। 

उन्हें जगह दी

अब इसी रणनीति को लोकसभा चुनाव में भी अपनाने की तैयारी चल रही है। कोलकाता में सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अखिलेश यादव के साथ नौ बार के विधायक अवधेश प्रसाद और पूर्व सांसद रामजी सुमन मंच पर नजर आए। अयोध्या निवासी अवधेश प्रसाद पासी समुदाय से हैं और आगरा निवासी रामजी लाल सुमन जाटव हैं। दलित राजनीति में दोनों जातियों का दबदबा माना जाता है।

सपा एक तरफ अपने साथ पुरानी पीढ़ी के दलित नेताओं को ला रही है तो दूसरी तरफ युवा दलित नेताओं को भी निशाने पर ले रही है. बसपा से आने वाले बृजेश कुमार गौतम को गोरखपुर जिला अध्यक्ष बनाया गया है। साथ ही युवा चेहरों के तौर पर रामकरण निर्मल, चंद्रशेखर चौधरी और मनोज पासवान भी सक्रिय हैं। रामपुर उपचुनाव के सीन में दलित नेता चंद्रशेखर आजाद अखिलेश यादव के बगल में बैठे नजर आए। 

बसपा का खेल चौपट हो गया है

गौरतलब है कि बसपा को 2012 में करीब 26 फीसदी, 2017 में करीब 22.4 फीसदी और 2022 में करीब 12.7 फीसदी वोट मिले थे। जबकि यहां करीब 11 फीसदी जाटव, तीन फीसदी पासी और दो फीसदी अन्य दलित जातियां हैं। 

पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि वे पांच से छह फीसदी दलितों के वोट बैंक पर विचार कर रहे हैं। इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। बसपा के तमाम पुराने नेता उनसे अलग हो गए हैं, उनमें से कुछ सपा के साथ हैं।

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