UP Today News: अतीक अहमद और अशरफ को करीब आठ सेकंड में 18 बार गोली मारी गई, लेकिन पुलिसकर्मी एक भी गोली नहीं चला पाए। इसको लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इतिहासकार सन्नी ने अपने साथियों लवलेश और अरुण के साथ मिलकर जिस तरह वारदात को अंजाम दिया उससे हर कोई हैरान है। पुलिस की मौजूदगी में अतीक और अशरफ की हत्या से कानून व्यवस्था पर सवाल उठते हैं तो पुलिसकर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
घटना के वक्त मीडिया के लोगों का जमावड़ा था। UP Today News
हालांकि, पुलिस अधिकारियों का तर्क है कि जिस वक्त यह घटना हुई, वहां मीडिया के अलावा अन्य लोगों का भी जमावड़ा था। शाही मीडिया भी गोलीबारी में अपनी जान गंवा सकता था। उमेश पाल हत्याकांड में माफिया अतीक और अशरफ को पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत (पीसीआर) में ले जाया गया।
5 पाकिस्तानी कारतूस और पिस्टल बरामद
UP Today News: दोनों की निशानदेही पर पांच पाकिस्तानी कारतूस के साथ एक पिस्टल भी बरामद हुई। इस बीच, अतीक और अशरफ की हालत बिगड़ गई और उन्हें तत्काल इलाज के लिए केल्विन अस्पताल ले जाया गया। इंस्पेक्टर राजेश मौर्या, इंस्पेक्टर रणविजय सिंह, सौरभ पांडेय, सुभाष सिंह, विवेक कुमार सिंह, प्रीत पांडेय, विपिन यादव, शिव प्रसाद वर्मा को हिरासत में ले लिया गया।
अधिकारी विजय शंकर, सुजीत यादव, गोविंद कुशवाहा, दिनेश कुमार, धनंजय वर्मा, राजेंद्र कुमार, रवींद्र सिंह, संजय कुमार प्रजापति, जयमेश कुमार, हरिमोहन, मान सिंह भी तैनात रहे। पुलिस कर्मियों को AK-47, इंसास, पिस्टल के अलावा अन्य हथियार मिले हैं।
अस्पताल के मुख्य द्वार से जैसे ही मीडिया ने सवाल पूछा तो अतीक और अशरफ के पैर जम गए। दोनों भाई अपनी बात कहने के लिए रुके और साथ ही माइक आईडी, एक हाथ में कैमरा और दूसरे हाथ में विदेशी सेमी-ऑटोमैटिक पिस्टल लेकर अतीक और अशरफ पर फायरिंग करने लगे।
लेकिन हिरासत में लिए गए पुलिस अधिकारियों में से कोई भी एक भी गोली नहीं चला पाया, जो एक बहुत बड़ी गलती मानी जाती है। हालांकि गोली नहीं मारने के कई तर्क भी दिए जा रहे हैं।
हमलावर मीडियाकर्मी बनकर आए थे
हमलावर पत्रकार बनकर पहुंचे थे। उनके हाथ में कैमरा, माइक्रोफोन आईडी थी। मीडिया कार्ड भी उनके गले से लटका हुआ था। हमलावर मीडिया में थे, इसलिए पुलिस उनकी पहचान नहीं कर सकी। मीडियाकर्मियों की भीड़ अधिक होने के कारण प्रतिवादी ने अतीक तक पहुंचने का आसान रास्ता खोज लिया।
सेमी ऑटोमेटिक हथियारों से लैस
UP Today News: आरोपितों के हाथों में सेमी ऑटोमेटिक हथियार थे, जो चंद सेकेंड में कई राउंड फायर कर देते हैं। इस वजह से पुलिसकर्मी भी संभल नहीं पाए और फायरिंग करने का मौका नहीं मिला। अतीक और अशरफ को प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारी गई थी, इसलिए पुलिसकर्मी कुछ समझ नहीं पाए।
फायरिंग के दौरान दो हमलावरों को पुलिस ने पकड़ लिया। वीडियो फुटेज में दिखाया गया है कि इंस्पेक्टर राजेश मौर्य ने प्रतिवादी को गोली मारते पकड़ा, लेकिन तब तक वह कई गोलियां चला चुका था। इंस्पेक्टर ने जब उसे पकड़ा तो उसकी बंदूक की नली गिर गई और जमीन पर कई गोलियां भी दागी गईं. अन्य उप निरीक्षक और एजेंटों ने भी प्रतिवादी को पकड़ लिया।
गोली लगने से मासूम की मौत हो सकती थी
पुलिस की जवाबी फायरिंग में खुद पत्रकार ही नहीं, बल्कि कई बेगुनाहों और पुलिसकर्मियों की जान भी जा सकती थी। भीड़ ज्यादा थी इसलिए गोली नहीं चली। शूटरों की गोली में कांस्टेबल मान सिंह को गोली लगी, जिससे वह घायल हो गया। हमलावरों की क्रॉस फायर में लवलेश को भी गोली लगी है।
पुलिस को सोचने का समय नहीं मिला
हमलावरों ने सबकुछ इतनी तेजी से और इतनी तेजी से किया कि उन्हें सोचने का मौका ही नहीं मिला। जब तक उन्होंने होश संभाला और गोली चलाने की कोशिश की, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पुलिसकर्मियों की पिस्टल देखकर एक शूटर ने जमीन पर लेटकर सरेंडर कर दिया था। इस वजह से पुलिस ने उसे गोली नहीं मारी।
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