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UP Today News: माफिया अतीक अहमद को 4 साल बाद प्रयागराज ले जाया गया, 28 मार्च को कोर्ट में पेशी होगी

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UP Today News माफिया अतीक अहमद को करीब चार साल बाद प्रयागराज ले जाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अहमदाबाद जेल भेजे जाने के बाद से अतीक अब तक सिर्फ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए ही कोर्ट में पेश होता रहा है। कुछ समय पहले उन्हें लखनऊ कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री योगी की तारीफ करते हुए कहा कि वह ईमानदार और मेहनती हैं।

UP Today News उत्तर प्रदेश न्यूज 

लखनऊ के बिल्डर मोहित जायसवाल को अगवा करने और देवरिया जेल ले जाकर पीटने की घटना के बाद, अतीक को अप्रैल 2019 में उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश से दूर गुजरात की उच्च सुरक्षा वाली जेल में भेजने का आदेश दिया था। इसके बाद नैनी जेल में बंद अतीक अहमद को तीन जून 2019 को वाराणसी के बाबतपुर हवाईअड्डे पर ले जाकर विमान से अहमदाबाद ले जाया गया। 

बाबतपुर हवाईअड्डे पर ली गई अतीक की तस्वीर में कुर्ते की जेब में गुलाबी नोटों (दो हजार रुपए के नोट) की एक गड्डी देखी गई। तब चर्चा थी कि अतीक अहमद जब नैनी जेल से बाहर आया तो उसकी जेब में दो हजार के नोटों की गड्डी थी। अहमदाबाद की साबरमती जेल में रखे जाने के बाद अतीक को कभी प्रयागराज नहीं लाया गया।

इसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ही कोर्ट में पेश किया जाता रहा। पिछले साल राजू पाल हत्याकांड में अभियोग की तैयारी के दौरान अतीक को अहमदाबाद से लाकर लखनऊ की एक अदालत में पेश किया गया था। बाद में अदालत से निकलने के बाद अतीक ने मीडिया से कहा कि योगी सरकार के अच्छे मुखिया हैं।

जून 2019 के बाद अब मार्च 2023 में करीब चार साल बाद अतीक अहमद कुछ घंटों के लिए ही सही, अदालत में पेश होने के लिए अपने शहर लौट आता है।

अतीक जिस भी जेल में रहा, सलाखों के पीछे भी उसकी मनमानी चलती रही। पैसे और डरा धमकाकर जेल के अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने वश में कर लेता। फिर उसकी अदालत जेल में लगेगी। खाना बाहर से आता है। जो मिलते थे वे आकर बैठे रहते थे। मैं जेल से मोबाइल फोन पर बात करता था और मोबाइल फोन से ही आपराधिक गतिविधियां करता था।

बसपा के शासन में जब पुलिस ने अतीक जेल में छापेमारी की तो उन्हें वो चीजें मिलीं, जिनसे साफ था कि वह जो चाहते थे, कर रहे थे। नैनी के अलावा देवरिया हो या बरेली, वह जिस भी जेल में रहे, सिक्का अभी भी चल रहा था।

गुजरात की अहमदाबाद जेल में रहने के दौरान भी वह फोन पर बात करता रहा। उमेश पाल हत्याकांड की जांच में पता चला कि उसने बरेली जेल में बंद अशरफ व अन्य शूटरों से व्हाट्सएप कॉल के जरिए बात कर साजिश को अंजाम दिया था। 

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