UP Today News Noida: शुक्रवार को कोतवाली सेक्टर 63 पुलिस ने नौकरी दिलाने के बहाने बेरोजगारों से ठगी करने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश करते हुए चार आरोपितों को गिरफ्तार किया है। अपराधियों के पास से तीन लैपटॉप, सात स्मार्टफोन, तीन कीपैड फोन सहित 30 हजार रुपये नकद सहित अन्य सामान बरामद किया गया है।
जालसाजों की पहचान अमरोहा के निखिल चहल, मिर्जापुर के मऊ डौआ के राहुल पांडे, गोरखपुर के गंगह के आशीर्वाद मिश्रा और उन्नाव के बैहटा मुजावर के रिहान के रूप में हुई है। वर्तमान में, प्रतिवादी गाजियाबाद, दिल्ली और नोएडा के विभिन्न हिस्सों में रहते थे।
युवक से एक लाख 35 हजार की ठगी। UP Today News
कोतवाली प्रबंधक अमित कुमार मान ने बताया कि पिछले दिनों एक व्यक्ति ने पुलिस में शिकायत की थी कि नौकरी दिलाने के नाम पर कुछ लोगों ने उससे 1.35 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है। पैसे लेकर स्कैमर्स ने शिकायतकर्ता को Naukri.com का फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिया।
शिकायतकर्ता ने कहा कि स्कैमर्स ने इस तरह सैकड़ों लोगों को बेवकूफ बनाया है। इसके बाद आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर अपराधियों को दबोच लिया गया।
जालसाजों ने पूछताछ के दौरान बताया कि निखिल को 15 हजार रुपये की फीस देकर उसकी शाइन डॉट कॉम आईडी मिल जाती है, जो दो महीने के लिए वैध होती है। इसमें हर रोज काम की तलाश में आने वाले युवक-युवतियों के रिज्यूमे अपलोड करने का काम किया जाता है।
रिज्यूमे नंबर मिलने के बाद चारों आरोपी जरूरतमंद लोगों से संपर्क करते थे और उन्हें अच्छी नौकरी दिलाने का वादा करते थे। आरोपी रजिस्ट्रेशन समेत अन्य तरह का शुल्क बताकर युवकों को फंसाते थे।
चार महीने में दफ्तर बदल देते थे
एसीपी अमित प्रताप सिंह ने बताया कि आरोपी चार से पांच महीने में दफ्तर बदल लेता था। स्कैमर्स ने पहले सेक्टर-63 के ब्लॉक डी में ऑफिस बनाया था, जिसके बाद वे बिसरख चले गए। कई अन्य शहरों में भी प्रतिवादियों ने धोखाधड़ी कार्यालय खोले हैं। गिरोह का सरगना निखिल है।
ठगी की रकम का आधा हिस्सा निखिल अपने पास रख लेता था। बाकी समान रूप से अन्य लोगों को वितरित किया गया। कुछ नौजवानों को 10 से 20 हजार रुपये प्रति माह की तनख्वाह पर काम पर रखा जाता था और घोटालेबाज हर महीने कर्मचारियों को बदल देते थे।
अन्य जिलों में भी जालसाजों के आपराधिक रिकॉर्ड का पता लगाया जा रहा है। पूछताछ में सामने आया है कि अब तक अपराधी अलग-अलग जगहों पर कार्यालय खोलकर 200 से अधिक लोगों से ठगी कर चुके हैं।
स्कैमर्स विभिन्न इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन देकर बेरोजगार युवाओं को लुभाते थे। आरोपितों ने अलग-अलग जगहों पर ठगी करने वाले एजेंट भी नियुक्त कर रखे थे। घोटाले का आठ प्रतिशत एजेंट को मिलता था।
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